Growth and Development वृद्धि एवं विकास in Hindi
Growth and Development वृद्धि एवं विकास in Hindi
बाल विकास सभी TET परीक्षा तैयारी का एक महत्वपूर्ण विषय है। सभी राज्यों के TET EXAM में बाल विकास से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते है। बाल विकास में वृद्धि और विकास TOPIC का अहम योगदान है। इस पोस्ट में हम वृद्धि और विकास पर विस्तार से चर्चा करेंगे। जो आपको परीक्षा में मददगार हो सकता है।
बालविकास में वृद्धि का अर्थ शारीरिक वृद्धि से होता है। जब यह शारीरिक वृद्धि मजबूत या पुस्ट हो जाती है। तो हम इसे विकास के रूप में जानते हे।
![]() |
Growth And Development |
वृद्धि क्या है
वृद्धि से तात्पर्य है। मानव शरीर और उसके विभिन्न अंगों में होने वाला मात्रात्मक परिवर्तन से है अभिवृद्धि सारे अंगों में होने वाली वृद्धि होती है
जैसे - शरीर की लंबाई का बढ़ना वृद्धि कहलाता है।
विकास क्या है
विकास एक व्यापक क्रिया जिसमे मानव के अंदर होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों को शामिल किया जाता है अर्थात विकास वह परिवर्तन है जिसके द्वारा बालकों में नए गुणों का और नई क्षमता का विकास होता है। मनुष्य में संपूर्ण विशेषताओं जैसे शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक सामाजिक परिवर्तनों की श्रंखला विकास को दर्शाती है।
वृद्धि की परिभाषा
श्रीमती हरलॉक के अनुसार - बालक के शरीर और संरचना में होने वाले मात्रात्मक परिवर्तन को ही अभिवृद्धि / व्रद्धि कहते हैं।
सोरेनसन के अनुसार - शरीर और उसके अंगों में होने वाली मात्रात्मक बढ़ोतरी को ही अभिवृद्धि / व्रद्धि कहते हैं।
विकास की परिभाषा
हरलॉक के अनुसार - विकास अभिवृद्धि तक ही सीमित नहीं है । इसमें प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है।
- क्रमिक परिवर्तनों की संख्या विकास को दर्शाती है
वृद्धि और विकास में अंतर
1. वृद्धि एक संकुचित प्रक्रिया है जबकि विकास एक व्यापक प्रक्रिया है।
2. वृद्धि का संबंध मात्रात्मक परिवर्तन से है जबकि विकास का संबंध गुणात्मक परिवर्तन से है।
3. रद्दी एक निश्चित समय तक होती है जबकि विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
4. वृद्धि विकास का हिस्सा है विकास स्वतंत्र व चहुमुखी होता है।
5. वृद्धि को नापा जा सकता है जबकि विकास को महसूस किया जा सकता है।
6. वृद्धि शारीरिक होती है विकास आंतरिक व बहू पक्षी होता है।
7. वृद्धि दिखाई देती है जिसकी विकास दिखाई नहीं देता है।
वृद्धि और विकास के सिद्धांत
1. दिशा का सिद्धांत - मानव के विकास की गति सिर से पैर की ओर होती है जिसे हम सिफ़ॉलोकोडल या मस्तिकाधोमुखी कहते हैं।
मानव के विकास की दिशा केंद्र से शेरों की और होती है जिसे हम प्रोक्सिमो डिस्टल कहते हैं। प्रॉक्सिमोडिस्टल के अनुसार पहले रीड की हड्डी का विकास होता है उसके बाद भुजाओं की हड्डी फिर उंगलियों की हड्डी का विकास होता है।
मानव के विकास की दिशा वर्तुलाकार होती है।
2. निरंतरता का सिद्धांत - मानव शरीर में विकास अचानक नहीं होता निरंतर होता है और विकास गति के एक समान नहीं होता ।
किसी अवस्था में विकास तेजी से होता है तो किसी अवस्था में विकास की गति मंद हो जाती है विकास निरंतर एक जैसा नहीं चलता है।
3. व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत - व्यक्तिगत भिन्नता का अर्थ है विकास की गति सभी बालकों में एक समान नहीं होती है।
जैसे - कोई बालक छह माह में चलना सीखता है तो कोई बालक 1 साल में चलना सीखता है।
4. सामान्य से विशिष्ट प्रक्रिया का सिद्धांत - बालक में पहले सामान्य योग्यताएं विकसित होती है फिर विशिष्ट योग्यताओं का विकास होता है।
5. सहसंबंध का सिद्धांत - बालक का विकास एक पक्षी नहीं होता बल्कि विकास एक दूसरे से जुड़े होते हैं बुद्धि का विकास तेज होने पर सभी विकास के होने लगते हैं।
6. एकीकरण का सिद्धांत - एकीकरण के सिद्धांत के अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंगों को फिर उसके बाद अंगों के भागों को चलाना सीखता है।
7. समान प्रतिमान का सिद्धांत - इस सिद्धांत के अनुसार सभी बालकों का विकास शारीरिक, मानसिक भाषा एवं संवेगात्मक विकास समान रूप से होता है।
8. विकास क्रम का सिद्धांत - इस सिद्धांत में गामक एवं भाषा विकास एक निश्चित क्रम में होता है जैसे भाषा के विकास में बालक पहले सुनता है उसके बाद बोलता है फिर पड़ता है और फिर लिखता है।
ऐसे ही जब बालक गर्भ में होता है तब गर्भावस्था उसके बाद शैशवावस्था उसके बाद बाल्यावस्था फिर किशोरावस्था के क्रम में विकास होता है।
9 . व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत - एक ही आयु के दो बालक और बालिकाओं के शारीरिक मानसिक भाषा एवं संवेगात्मक विकास में भिन्नता होती है।
- Adhigam Ka Arth Aur Paribhasha- अधिगम का अर्थ और परिभाषाएं
- पावलॉव का शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत और शैक्षिक महत्व (Classical Conditioning Theory)
- वंशानुक्रम व वातावरण-Heredity & Environment
वृद्धि और विकास को प्रभावित करने वाले कारक
1. वंशानुक्रम - वंशानुक्रम का अर्थ है एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अंतरण होने वाले गुणों को वंशानुक्रम या अनुवांशिकी कहते हैं।
2. वातावरण - बालक का विकास जिस वातावरण में होता है वह वातावरण बालक के विकास को प्रभावित करता है।
3. जन्म का क्रम - जो बालक पहले जन्म लेते हैं उनकी तुलना में बाद में जन्म लेने वाले बालक का विकास अधिक होता है।
4. लिंग - लड़कियों का विकास लड़कों की तुलना में अधिक होता है।
5. पोषण ( खान-पान) - जिन बालकों का खानपान अच्छा होता है तो उनका विकास भी तीव्र गति से होता है।
6. स्वास्थ्य - बे बालक जो बीमार रहते हैं उनका विकास मंद गति से होता है।
7. बौद्धिक विकास - जिन बालकों का बौद्धिक विकास तेज होता है उनका विकास हर क्षेत्र में अधिक होता है।
8. आयु - बालक की आयु में वृद्धि के साथ-साथ बालक का विकास भी प्रभावित होता है। आयु बढ़ने के साथ-साथ बालक में परिपक्वता का विकास होता है।
9. अंतः स्त्रावी ग्रंथि - बालकों के विकास को ग्रंथियां से निकलने वाले हारमोंस विकास को प्रभावित करते हैं लंबाई में वृद्धि को प्रभावित करने वाली ग्रंथि थायराइड ग्रंथि है जिसमें थायरोक्सिन हार्मोन होता है।
10. खेल और व्यायाम - खेल के मैदान में बालक का शारीरिक ,मानसिक ,संवेगात्मक ,नैतिक ,सामाजिक विकास होते हैं।
11. प्रजाति - हर प्रजाति के विकास में भिन्नता पाई जाती है और बालक का विकास प्रजाति के अनुसार ही होता है।
विकास की विभिन्न अवस्थाएं या आयाम
बाल विकास में विकास की पांच अवस्थाएं बताई गई है।
- गर्भावस्था ( गर्भधारण से जन्म तक )
- शैशवावस्था ( 0 से 6 वर्ष )
- बाल्यावस्था ( 7 से 12 वर्ष )
- किशोरावस्था ( 13 से 18 वर्ष )
- प्रौढ़ावस्था ( 19 वर्ष के बाद )
1. गर्भावस्था - गर्भावस्था को तीन भागों में बांटा गया है।
A .डिम्ब अवस्था - इस अवस्था में अंडाणु और शुक्राणु आपस में मिलकर डिम्ब बनाते हैं। और निषेचन से दसवें दिन यह डिंब गर्भाशय की दीवाल से चिपक जाते हैं।
आवाज गर्भनाल के विकास के बाद मां से पोषण प्राप्त करते हैं।
B . पिंड अवस्था - 2 सप्ताह से 2 माह तक
इस अवस्था में मानव अंगों का निर्माण शुरू हो जाता है।
जैसे - बाल, त्वचा ,नाखून
C . गर्भस्थ शिशु की अवस्था - इस अवस्था में किसी नए अंग का निर्माण नहीं होता बल्कि अंगों का विकास होता है।
2. शैशवावस्था - सिगमंड फ्रायड के अनुसार बालक को जो बनना होता है वह प्रारंभ के चार से 5 वर्षों में बन जाता है।
वैलेंटाइन के अनुसार शैशवावस्था सीखने का आदर्श काल है।
जन्म से 6 वर्ष की अवस्था शिशु अवस्था कहलाती है यह बालक के भावी जीवन की आधारशिला का काल है।
शैशवावस्था की विशेषताएं
- शेशवावस्था में बालक स्वार्थी वस्तु केंद्रित होता है।
- शैशवावस्था को खिलौनों की अवस्था कहा जाता है।
- शैशवावस्था जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल है।
- शैशवावस्था अतार्किक चिंतन की अवस्था है।
- शैशवावस्था सीखने का स्वर्ण काल है।
- शैशवावस्था सीखने का आदर्श काल है।
3. बाल्यावस्था - बाल्यावस्था जन्म के बाद मानव विकास की दूसरी अवस्था होती है जो शैशवावस्था की समाप्ति के बाद प्रारंभ होती है यह अवस्था बालक की आदतों व्यवहार रुचि व इच्छाओं के आकार निर्धारण का काल होता है।
मनोवैज्ञानिक कॉल एवं ब्रुश के अनुसार बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा है क्योंकि इस काल के 6 वे वर्ष में बालक उग्र 7 वें वर्ष में उदासीन व अकेलेपन की गुणों का विकास होता है।
बाल्यावस्था की विशेषताएं
- बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा जाता है।
- बाल्यावस्था को प्रतिबंधात्मक समाजीकरण का काल कहा जाता है।
- बाल्यावस्था को छदम, मिथ्या परिपक्वता का कॉल कहां है।
- बाल्यावस्था शिक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण काल है।
- बाल्यावस्था कल्पना शक्ति एवं अमूर्त चिंतन की प्रारंभ का काल है।
- बाल्यावस्था में बालक में सबसे कम कामुकता पाई जाती है एवं बालक भय मुक्त रहता है।
4. किशोरावस्था - किशोरावस्था शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द एडोलेसन्स से हुई है ,किशोर में जो भी परिवर्तन दिखाई देते हैं वे अचानक होते हैं और उनका पूर्व अवस्थाओं से कोई संबंध नहीं होता है स्टडी हॉल ने अपने आकस्मिक विकास के सिद्धांत के पक्ष में एक और पुनरावृति का सिद्धांत प्रस्तुत किया।क़्क़
स्टैनले हॉल को किशोरावस्था का जनक कहा जाता है।
किशोरावस्था की विशेषताएं
- किशोरावस्था को परिवर्तन का काल कहा जाता है।
- किशोरावस्था दबाव तूफान संघर्ष एवं तनाव का काल है।
- किशोरावस्था में देशभक्ति की भावना का विकास होता है।
- किशोरावस्था में समायोजन का अभाव पाया जाता है।
- किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल कहा जाता है।
- किशोरावस्था जीवन का स्वर्णिम काल है।
आप हमारी जानकारी से सहमत है। तो आप हमे कमेंट के जरिये बता सकते है की आप को वृद्धि और विकास से सम्बन्ध्धि यह पोस्ट पढ़कर किस प्रकार का अनुभव प्राप्त हुआ है। और आप अगली पोस्ट किस प्रकार की पड़ना चाहोगे हमे अवश्य बताये। हमे आपके मैसेज का इंतजार रहेगा। धन्यवाद
Leave a Comment