Mp Gk : 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का योगदान
![]() |
Mp-Gk |
Mp Gk : 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का योगदान
नमस्कार ! दोस्तों कैसे हैं आप सब हमें उम्मीद है आप खुश होंगे आज हम जिस टॉपिक के बारे में बात करने जा रहे हैं वह टॉपिक भारत के इतिहास में बहुत ही अहम हैं।
आज हम बात करने जा रहे हैं, (Mp Gk : 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का योगदान ) जैसा की आप सभी लोगों को पता होगा कि 1857 की क्रांति बंगाल के बैरकपुर से चालू हुई थी। 1857 की क्रांति में मंगल पांडे का अहम योगदान था। लेकिन हम बात करेंगे 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का क्या योगदान था।
चलिए तो स्टार्ट करते हैं।
Mp Gk : 1857 की क्रांति में मध्यप्रदेश का योगदान
- मध्यप्रदेश में सर्वप्रथम नीमच छावनी में विद्रोह हुआ जब सैनिकों ने 3 जून 1857 को अंग्रेजी बंगलों में आग लगा दी तो राज्य में तात्या टोपे , नाना साहेब के प्रत्न से सैनिकों किसानों ग्रामीणों के मध्य क्रांति संदेश कमल और रोटी के माध्यम से पहुंचाया गया।
- ग्वालियर की मुरार छावनी के सैनिकों ने विद्रोह कर संचार व्यवस्था भंग कर दी थी. शेख रमजान के नेतृत्व में सागर छावनी में विद्रोह हुआ गढ़ा मंडला में राकेश शाह ने विद्रोह किया वही 20 जून 1857 को शिवपुरी में विद्रोह हुआ इसी समय महू छावनी में शहादत खान के नेतृत्व में विद्रोह हुआ और अंग्रेजी सेना परास्त कर दी गई महाराजा होलकर विद्रोहियों को सहायता दे रहे थे।
- 1818 ईस्वी में मध्य प्रदेश की महाकौशल क्षेत्र में सर्वप्रथम अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह हुआ था,जिसका नेतृत्व नागपुर के शासक अप्पाजी भोंसले द्वारा किया गया था।
- अप्पाजी भोसले ने अरबी सैनिकों की सहायता से बैतूल के समीप अंग्रेजों से युद्ध किया किंतु यह पराजित हो गए।
- 1833 ईस्वी में रायगढ़ नरेश जुझारू सिंह के पुत्र देवनाथ सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
- 1842 ईस्वी में नरसिंहपुर के जमीदार दलहन शाह तथा हीरापुर के किरण शाह ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया।
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय मध्य प्रदेश में सबसे पहले विद्रोह नीमच छावनी में 3 जून 1857 को पैदल एवं घुड़सवार सैनिकों के द्वारा किया गया।
- लेकिन कर्नल सी. बी. सोबर्स ने राजपूत सैनिकों की मदद से नीमच छावनी के विद्रोह को दबा दिया
- 14 जून 1857 को ग्वालियर के निकट मुरार छावनी में सैनिकों द्वारा विद्रोह हुआ।
- रानी दुर्गावती के वंशज साकिर साहब और उनके पुत्र ने गढ़ा मंडला में स्वतंत्रता के लिए विद्रोह किया ।
- 20 जून 1857 को शिवपुरी में विद्रोह हुआ।
- महू छावनी में 1 जुलाई 1857 को सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय दिल्ली के शहजादे हुमायूं ने मंदसौर में बालयति, देवाती एवं सिंधिया के कुछ सैनिकों की सहायता से एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की तथा फिरोज शाह के नाम से मंदसौर पर शासन किया।
- कर्नल स्टाकतो, कैप्टन लूडओ व कोब को भोपाल की बेगम सिकंदर ने शरण दी थी ।
- झांसी की रानी लक्ष्मीबाई 28 जून 1858 को काली में ह्यूरोज की सेना के साथ युद्ध करते हुए शहीद हो गई थी।
- तात्या टोपे को सिंधिया के सामंत मानसिंह ने धोखे से पकड़वा दिया था तात्या टोपे को शिवपुरी में फांसी दे दी गई थी।
- 1857 के विद्रोह में ग्वालियर के सिंधिया एवं भोपाल की बेगम ने अंग्रेजों का साथ दिया था ।
- मंडला जिले की रियासत रामगढ़ की रानी अवंती बाई ने 20 मार्च 1858 को अंग्रेजी सेनापति वार्डन के साथ युद्ध में पराजय होते देखकर अपनी अंगरक्षक गिरधारी भाई की कटार से आत्महत्या कर ली थी।
- रानी अवंती बाई रामगढ़ की झांसी की रानी के उपनाम से जानी जाती है।
1857 के प्रमुख विद्रोही
विद्रोही | संबंधित स्थल |
---|---|
शेख रमजान टंट्या भील शंकरशाह राजा ठाकुर प्रसाद नारायण सिंह शहादत खान रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे भीमा नायक रानी अवंती बाई झलकारी बाई गिरधारी बाई श्री बहादुर एवं देवी सिंह |
सागर खरगोन गढ़ा मंडला राघव गढ़ रायपुर महू झांसी - कालपी कानपुर - झांसी - ग्वालियर मंडलेश्वर रामगढ़ झांसी रामगढ़ मंडला |
दोस्तों आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो प्लीज आप ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
Leave a Comment